योगेश्वर श्रीकृष्ण के अनुसार कल्याण-पथ की जानकारी, उसका साधन और उसकी प्राप्ति सद्गुरु से होती है। इधर-उधर तीर्थों में बहुत भटकने या बहुत परिश्रम से यह तब तक नहीं मिलता, जब तक किसी सन्त द्वारा न प्राप्त किया जाय। अध्याय ४/३४ में श्रीकृष्ण ने कहा– अर्जुन! तू किसी तत्त्वदर्शी महापुरुष के पास जाकर, भली प्रकार दण्ड-प्रणाम कर, निष्कपट भाव से सेवा करके, प्रश्न करके उस ज्ञान को प्राप्त कर। प्राप्ति का एकमात्र उपाय है, किसी महापुरुष का सान्निध्य और उनकी सेवा। उनके अनुसार चलकर योग की संसिद्धिकाल
ॐ